पूर्णिया में यादव की जनसंख्या कितनी है 2025?
बिहार के पूर्णिया जिले में यादव समुदाय की जनसंख्या लगभग 1.5 लाख है। यह समुदाय जिले के कुल 22 लाख मतदाताओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
पूर्णिया, जिसे एमवाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण की सीट के रूप में जाना जाता है, यहां यादव और मुस्लिम समुदाय की राजनीतिक पकड़ सबसे मजबूत है।
पूर्णिया में यादवों की स्थिति
यादव समुदाय का पूर्णिया की राजनीति में खास योगदान है। जिले में मुस्लिम मतदाता लगभग 7 लाख हैं, जो यादवों के साथ मिलकर एक मजबूत गठजोड़ बनाते हैं।
इसके अलावा, अति पिछड़ा वर्ग के 2 लाख, दलित और आदिवासी समुदाय के 4 लाख, ब्राह्मण और राजपूत समुदाय के 1 से 1.5 लाख मतदाता भी यहां की सामाजिक संरचना में शामिल हैं।
इतिहास और उत्पत्ति
यादव या अहीर समुदाय भगवान कृष्ण के वंशज माने जाते हैं। गंगा घाटी के क्षेत्रों में इनकी उपस्थिति प्राचीन काल से है।
बिहार में यादव समुदाय ज़मींदारी, सरदारी और राजनीतिक नेतृत्व के लिए भी प्रसिद्ध रहे हैं। इनका प्रभाव दियारा इलाकों, नदियों के किनारे बसे क्षेत्रों और पूर्वी बिहार में स्पष्ट देखा जाता है।
सामाजिक और आर्थिक स्थिति
पारंपरिक रूप से यादव समुदाय का मुख्य व्यवसाय पशुपालन रहा है। हालांकि, समय के साथ इनमें से अधिकांश किसान बन गए हैं।
आज के दौर में यादव समुदाय के कई लोग खेती, व्यापार और सरकारी सेवाओं में भी सक्रिय हैं।
पूर्णिया में यादवों का महत्व
पूर्णिया में यादव समुदाय का राजनीतिक महत्व उनकी संख्या और सामाजिक एकजुटता के कारण बढ़ता है।
एमवाई समीकरण के चलते यादव-मुस्लिम गठजोड़ यहां के चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाता है। इस गठजोड़ ने हमेशा से जिले की राजनीति में सत्ता का संतुलन तय किया है।
निष्कर्ष
पूर्णिया में यादव समुदाय केवल संख्या के लिहाज से ही नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव के मामले में भी बेहद महत्वपूर्ण है।
उनकी उपस्थिति जिले की सांस्कृतिक और राजनीतिक संरचना को मजबूत करती है। यादवों के बिना पूर्णिया की राजनीति और समाज की कल्पना अधूरी है।